आज भी मुझे याद है जब मैं अपने माँ के साथ स्कूल
जाया करता था मेरे पैर कापा करते थे मेरे रिपोर्ट कार्ड पर अक्सर लाल सियाही अक्सर दिखई दे जाया करती थी वह रिपोर्ट कार्ड हर बार मुझे यह बता देता था कि मैं काबिल नही हूँ घर आता डाट पड़ती कभी कभी मुझे यह लगता कि मेरे वजा से मेरे घर वालो का सर झुक रहा है जोश मैं आता और सोचता कि हो न हो अगली साल टॉप करके ही दिखाऊंगा साल बदलते रहे रेग्युˈलेश्न् बदलते रहे जो एक चीज नही बदली वो था मेरा रिजल्ट लेकिन अचानक एक दिन दरवाजे पर दस्तक हुई पता चला कि किसी ने मेरे पिता जी पर हमला कर दिया है
और उनकी डैथ बॉडी कॉलोनी के गेट पर पढ़ी हुई है यकीन मानिए मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई थी जब मैंने अपने पिता जी की डैथ बॉडी कॉलोनी के गेट पर पड़े धेखा मैं अपने होश खो बैठा की मेरे साथ हो क्या रहा है मेरी तो जैसे जिंदगी ही खत्म हो गयी थी ऊपर वाले ने बिना मुझसे पूछे मेरे जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मुझसे छीन लिया था और इस बात को मैं स्वीकार नही कर पा रहा था नतीजा ये हुआ मैं गुमसुम रहने लगा दिन भर आँखो से आँसू छलकते रहते कुछ न कुछ सोचता रहता था मेरे जिम्मेदारीयो का एहसास मेरे रिस्तेदारो ने उनके अंतिम संस्कार से पहले करा दिया था और मुझे बचपना छोड़ने की हिदायत भी दे डाली थी मेरी जिंदगी मैं कई ऍक्सप्रैशन ही नही रह गयी थी मानो मेरी ज़िन्दगी blank हो गयी थी पढ़ाई मैं दिलचस्पी पहले से नही थी और भी खत्म हो गई पहेले तो कमसे कम फर्क तो पड़ता थ रिजल्ट का अब वो भी नही पड़ता नतीजा ये हुआ 12वी का परीक्षा हुआ
और मैं बिना किताब खोले उस परीक्षा को दे आया और नतीजा ये हुआ की मैं फैल ही गया सही मायने मैं बताऊ तो मुझे 1प्रतिसत फर्क नही पड़ा इसका कारण बहुत ही simpal था की मेरे को अपने को लेकर कोई होप ही नही रह गयी थी लेकिन हा एक चीज हो गयी थी मेरे ऊपर failure ka tag लग गया था मेरे रिस्तेदारो ने मेरे से question करना शुरू कर दिया था कोई मुझसे कहता क्या तुम पूरे दिन घर पर पड़े रहते हो तुम्हे शर्म नही आता तुम्हारी माँ कहा पर जाती है और तुम आराम करते रहते हो तो कोई मुझे और ताने मरता और मैन घर से बहार निकलना बंद कर दिया कमरे मे बंद रहता लेकिन एक समय आता है जब व्यक्ति को कोई निर्णय लेना पड़ता है और शायद वो समय मेरे ज़िन्दगी मैं आने वाला था मुझे आज भी वो समय याद है जब मैं क्लास 12वी को रीपीट कर रहा था और मेरी इंग्लिस टीचर ने एक asainament के तौर पर एक प्रेजेंटेशन बनाने को दिया और मैन अपने किसी दोस्त का नकल करके लिख दिया कि मैं बैंक मॅनेजर बनाना चाहता हूँ
जैसे ही प्रेजेंटेशन खत्म हुआ मेरे टीचर ने मुझे एक दिमाग दिया जो मुझे आज तक याद है की क्या तुम्हें बैंक मॅनेजर बनाने से पहले 12वी पास करना पड़ेगा इतना कह कर वो मुस्करा पड़ी और पूरा क्लास मुझ पर हँसने लगा यकीन मानिए जितना बेइज्जती मैं उस दिन महसूस किया उतना कभी ज़िन्दगी मैं नही किया उनके बात मेरे दिल मे चुभ गए थे और ये बात मेरे मन मे गूँज रहा था मन किया मैं एक दिन बैंक मैनेजर जरूर बन के दिखाउँगा हम उस वक़्त सोचते तो जरूर है लेकिन हम जो journey तय करना होता है उसके लिए हम तैयार नही होते है और मैन जोड़ तोड़ कर 12वी पास की लेकिन55 प्रतिशत से पास की और मैं इधर उधर जॉब के लिए apply करता था लेकिन कही select नही होता था और फिर एक दिन मुझे एक VPO ने select किया और मेरी नोकरी की शुरुआत हुई
और मेरी सैलरी बहुत ही कम थी और मेरे पास दो ही रास्ते थे या तो मेरे ऊपर जो प्रेशर था उसे दब कर में कंप्रोमाइज करु दूसरा रास्ता था कि उस प्रेशर को सीढ़ी बनाकर कुछ ऐसा कर जाने का जिसका एक्सपेक्टेड मुझसे किसी ने ना की हो और मैंने दूसरा रास्ता चुना और मैंने सोचा मुझे दूसरों से अच्छा बनना है अपनी कंपनी में टॉप पोफॉर्मर बनना है मेरे अंदर बेहतर बनने की चिंगारी जन्म लेने लगी अब समय था उस चिंगारी को आग में बदलने का मैंने ऑफिस में 18-18 घंटे बिताए और मैं अपने काम को बहुत ही अच्छे से करने लगा यकीन मानिए मेहनत कभी भी बेकार नहीं जाती मेरे साथ भी ऐसे ही हुआ हमें यह सोचना चाहिए कि हम ऐसा कुछ कर जाए जिसकी उम्मीद किसी ने ना की हो जिस दिन आपने यह बात ठान ली आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता और मैंने इसका भरपूर फायदा उठाया मैंने यह सोच मुझे दूसरों से बेहतर बनना है बस मुझे अपने अंदर वो कंपटीशन वाली फीलिंग लेकर आना था वह फिल्म लाने के लिए मैंने एक ऑफलाइन टेस्ट सिरीज़ ज्वाइन की 3000 बच्चे हर सप्ताह में उस टेस्ट में बैठते थे
एक रैंकिंग बनती थी शुरुआत में मुझे भी याद है जब मैं उस टेस्ट को पहली बार उस टेस्ट को देने के लिए गए तो मेरी 2400 रैंकिंग आई लेकिन यकीन मानिए मैं जरा सा मायूस नही हुआ क्योंकि मेरे काम ने सिखाया था मुझे उपर उठाना और मैन अपने मेहनत के भरोसे सोच मैं 2400 रैंक से टॉप 50मैं भी पहुंच सकता हूँ शायद एक दिन ऐसा भी आएगा मैं नंबर 1पर बैठा हूँगा मैन मेहनत करना शुरू किया 5 महीने के अंदर मैं 500रैंक के भीतर था और मैन और मेहनत की मेरे लंच टाइम जो 30 मिनट था मैं उसे 15 मिनट मैं करु हर 1 सेकंड मेरे लिए बहुत कीमती बन गया था मैं सोचता था थोड़ा सा भी समय मिल जाये मैं उसमे भी study कर लूं मैं पूरे confidence से भरा पड़ा था कुछ इसी confidence के साथ मैं 2013मैं अपने पहले exame मैं बैठा exame हाल से बाहर निकला तो थोड़ा सा डर लगा कि कही फिर से तो नही रह जाऊंगा कही मैं हर बार की तरह इस बार भी कोई कमी नही रह जायेगा और जब 3 महीने बाद रिजल्ट निकला तो मेरे आँखो मैं आंसू आ गए सफलता के सीडी पर चल चुका था जो सपना मैं अपने लिए देख रहा था
उसको कड़ी मेहनत मैं सिर्फ 8 महीनों मैं realise कर पाया टीचर के कहे गए शब्द मुझे याद था और इस बार मेरे सर ऊँचा रहा और ऐसा बच्चा जो इतना नालायक था वो इस मोकाम तक पहुंचा जाएगा दोस्तो 12वी पास करने मे मुझे 2साल लग गया आज 11 नेशनल लेवल के exame निकलने ले गया और ऐसा कौन सोच सकता है दोस्तो बस इतना कहना चहूंगा की मैं कर सकता हूँ तो आप भी कर सकते हो एक एक बच्चा जो पढ़ रहा है वो जो सोच ले वो हर एक सपना पूरा कर सकता है
ध्यानवाद
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