Tuesday, 14 April 2020

Mcdonald'S Success Story In Hindi | Inspirational & Motivational Story

दोस्तों आज मैं आपसे बात करने जा रहा हूं विश्व की दूसरी  सबसे बड़ी  फास्ट फूड रेस्टोरेंट मैकडोनाल्ड की जिसके औटलेट्स 119 से भी ज्यादा देशों में फैले हुए हैं यह कंपनी हर दिन करीब एक करोड़ बर्गर बेचती है और 7000000 लाख लोग इसे डेली विजिट करते हैं दोस्तों कंपनी का प्रॉफिट आज के समय में खरबों रुपए हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की इतनी बड़ी कंपनी कैलिफ़ोर्निया की एक छोटी सी रेस्टोरेंट से स्टार्ट हुई  थी जिसे रिचर्ड और मॉरिस मैकडोनाल्ड नाम के दो भाइयों ने मिलकर 1940 में शुरू किया था लेकिन मैकडोनाल्ड के सफलता का पूरा श्रेय रिकरॉक को जाता है जो 1955 में इस कंपनी से जुड़े थे 

और जुड़ने के बाद उन्होंने कंपनी को शिखर पर पहुंचाया तो इस सक्सेस स्टोरी को अच्छे से समझने के लिए सबसे पहले हमें रेक राँक को जानना होगा तो चलिए शुरू करते हैं रेक राँक का जन्म 5 अक्टूबर 1902 मैं अमेरिका इलिनॉयस राज्य में Oak Park  नाम के एक जगह पर हुआ था बे बहुत ही गरीब परिवार मैं पैदा हुए थे इसलिए 15 साल के उम्र में उन्होंने अपना डेट ऑफ बर्थ को बदल दिया और पहले विश्व युद्ध के समय रेक राँक एंबुलेंस के ड्राइवर बन गए लेकिन विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद ही उन्हें ड्राइवर का जॉब छोड़ना पड़ा उन्होंने फिर पेपर के ग्लासेस बेचना शुरू किए कुछ सालों तक sales का काम करने के बाद रेक राँक एक लोकल रेडियो स्टेशन मे पियानो बजाने का भी काम किया और ऐसेे ही अलग-अलग काम करते हुए  उन्होंने  अपनी जीवन के लगभग 25 साल बिताए दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने के बाद रेक राँक रेस्टोरेंट को मिल्क शेक बनाने की मशीन बेचने का काम शुरू किया

और कुछ सालों तक मशीनें बेचने के बाद उन्होंने अपने सेल्स को Analyze किया तो देखा की कैलिफ़ोर्निया की एक अकेली रेस्टोरेंट ने उनकी सबसे ज्यादा 6 मशीनें खरीदी है रेक राँक उस रेस्टोरेंट्स से बहुत प्रभावित थे और वे उसे विजिट  करने के लिए कैलिफ़ोर्निया आए जहां उन्होंने देखा कि एक छोटे से रेस्टोरेंट होने के बावजूद ग्राहकों की वहां बहुत ही लंबी लाइन लगी हुई थी दोस्तों रेक राँक अपनी मिल्क सेक की मशीन बेचने के लिए अमेरिका के बहुत सारे रेस्टोरेंट पर गए हुए थे लेकिन उन्होंने ऐसी भीड़ कभी भी नहीं देखी हुई थी रेक राँक ने लाइन में खड़े हुए एक आदमी से पूछा कि इस रेस्टोरेंट मैं आखिर खास क्या है और यहां पर इतने भीड़ क्यों लगी हुई है तो उस आदमी ने कहा यहां आपको सबसे अच्छा बर्गर सिर्फ 15 cents मे मिलेगा और यहां आपको ऑर्डर की डिलीवरी देने के लिए ज्यादा समय भी नहीं लगेगा रेक राँक को ब्रदृस मैकडोनाल्ड का  कॉन्सेप्ट बहुत ही अच्छा लगा

और उन्होंने और भी डीप मे जाकर उस रेस्टोरेंट के बारे में पता किया तो उन्हें पता चला की रिचर्ड और मौरिस मैकडोनाल्ड नाम के दो भाइयों ने मिलकर ये रेस्टोरेंट 1940 मैं शुरू किया था तब यह ज्यादा सफल नहीं था लेकिन 8 सालों के बाद 1948 में जब मेनू के आइटम को घटाकर कुछ लिमिटेड कर दिए और उन्हीं 4 या 5 आइटम पर उन्होंने अपना पूरा ध्यान केंद्रीत कर दिया और तभी से उन्हें पूरा सफलता मिलना शुरू हो गया और उन्होंने अपना बर्गर और फास्ट फूड बनाने के लिए मशीनों का प्रयोग करना भी शुरू कर दिया था जिससे लोगों का बहुत समय बचता था 

और इसीलिए वह वहां का पसंदीदा रेस्टोरेंट्स बन गया था इन सब बातों को जाने के बाद रेक राँक मैकडॉनल्ड ब्रदर से फ्रेंचाइजी लेने की बात कहीं और तब मैकडोनाल्ड ब्रदर ने भी रेक राँक की बात मान ली और अपना एक फ्रेंचाइजी उन्हें बेच दिया 15 april 1955 को illinois नाम के शहर में अपना पहला ब्रांच खोला और देखते ही देखते कुछ ही दिनों में उनकी अच्छी सर्विस कम पैसे और तेज डिलीवरी कि वजह से वह रेस्टोरेंट धड़ले से चल पडा़ उनके पास भी बहुत पैसे हो गए उसके बाद मैकडोनाल्ड ब्रदर्स से और भी फ्रेंचाइजी बांटने की बात कहीं जिससे और भी शहरों में मैकडोनाल्ड को फैलाया जा सके लेकिन मैकडोनाल्ड ब्रदर्स में यह कह कर मना कर दिया कि उनके पास जितने पैसे हैं वह काफी है और वे और काम नहीं करना चाहते उन्होंने कहा कि तुम्हें रेस्टोरेंट के चैंप को बढ़ाने का इतना ही शौक है

 तो तुम इस कंपनी को खरीद लो और अपने मन मुताबिक काम करो रेक राँक को मैकडोनाल्ड रेस्टोरेंट्स मैं अपना उज्जवल भविष्य दिख रहा था इसी लिए कुछ सालों तक पैसे इकट्ठे करने के बाद कंपनी को 2 .7 मिलियन और हर साल फायदे का 1.9 % रॉयल्टी देकर खरीद लिया फिर क्या था रेक राँक की मेहनत और लगन और अच्छी सर्विस की वजह से उनकी रेस्टोरेंट कि चैन तेजी से फैल गई और उन्होंने अपने देशों के साथ साथ दूसरे देशों  को भी फ्रेंचाइजी दिए और एक स्टैंडर्ड तैयार कर दिया जिस पर सभी रेस्टोरेंट्स को काम करना होता था 1983 में अपनी मृत्यु से पहले तक रेक राँक ने अपने कंपनी के फ्रेंचायजों को  31 देशों तक फैला दिया था और भारत में मैकडोनाल्ड का पहला ब्रांच 13 अक्टूबर1996 को वसंत बिहार नई दिल्ली मैं खोला गया था दोस्तों एक गरीब परिवार के  एक लड़के ने अपनी लगन मेहनत और असफलताओं से  सीख लेते हुए यह दिखा दिया कि आपके अंदर अगर कुछ करने का जुनून है तो इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं है

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