Wednesday, 15 April 2020

Dr. Vivek Bindra सफलता की पूरी कहानी | Life Story |Motivational Speaker Biography | Business Coach

आज हम जानने वाले हैं डॉक्टर विवेक बिंद्रा के संघर्ष और सफलता की पूरी कहानी की किस  तरह से सन्यासी ने पूरी दुनिया के लोगों को सफलता कि एक नई दिशा दिखाई तो दोस्तों कहानी की शुरुआत होती है 5 अप्रैल 1978 से जब विवेक बिंद्रा का जन्म उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था हालांकि जब विवेक महज 2.5 साल के थे तो  उनके पिता का मृत्यु हो गया था पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली और बचपन में विवेक बिंद्रा के सर से उनके पिता का साया उठ गया था हालांकि वह अपने मां के साथ रहने के बजाय अपने दादा और चाची जी के साथ रहने लगे 

और दोस्तों विवेक बिंद्रा शुरू से ही पढ़ाई लिखाई मैं काफी अच्छे थे और इसीलिए उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद से दिल्ली के नोएडा मैं स्थित M.A.T buisness कॉलेज से M.B.A की  डिग्री साथ ही विवेक बिंद्रा ने  बहुत ही इंटरव्यू के माध्यम से बताया कि उनके जीवन में खेलो का शौक भी शुरू से है अगर उनके जीवन में खेल ना होते तो जिस तरह उनका समय काफी संघर्ष से गुजरा है वह आसान से आगे नहीं बढ़ता और दोस्तों आपने विवेक बिंद्रा को बहुत सारे वीडियो और सेमिनार में Bounce Back का इस्तेमाल करते जरूर सुना दरअसल यह शब्द भी खेलों से प्रेरित होकर ही लिया गया है

और दोस्तों विवेक बिंद्रा के संघर्ष का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अपने कॉलेज के fee भरने तक के  पैसे उनके पास नहीं होते थे और इसी वजह से उन्होंने 16 साल की उम्र में ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया था हालांकि विवेक अगर चाहते तो ट्यूशन को भी अपना फुल टाइम करियर बना सकते थे लेकिन उन्होंने कुछ अलग करने को ठानी और दोस्तों एक समय ऐसा भी आया की जब विवेक बिंद्रा अपने आसपास किसी सगे को नहीं पाया तो वो  4 सालों के लिए वृंदावन में सन्यासी के तौर पर रहे और दोस्तों वृंदावन में वह साधु की तरह लोगों की सेवा करते धोती कुर्ता पहनते और जमीन पर ही सोते थे हालांकि मानसिक तौर पर काफी सारे प्रॉब्लम से गुजर रहे थे डॉक्टर विवेक बिंद्रा को शांति देने के लिए उनके गुरु ने गीता पढ़ने की सलाह दी

और उनके वीडियोस मे भी गीता के ज्ञान को लोगों तक उन्हें पहुंचाते हुए देख सकते हैं हालांकि विवेक बिंद्रा जी का मानना है कि गीता कोई धार्मिक किताब नहीं है बल्कि जीवन को किस तरह जीना है इस बात को सिखाती है और विवेक बिंद्रा का मानना है कि वह आज जीवन में जितना भी सफल है गीता के ज्ञान का भी बड़ा महत्व है हालांकि आगे गुरु के आदेश को मानते हुए विवेक बिंद्रा जी ने बिजनेसमैन बनने का फैसला किया और साथ ही उन्होंने यह फैसला लिया कि जो भी लोग पैसों के अभाव में एक सफल बिजनेसमैन नहीं बन पाते हैं वह उनकी सहायता करेंगे और दोस्तों यही वह आदमी है जिससे कि हम एक सफल मोटिवेशनल स्पीकर बिजनेस कोच बिजनेस ट्रेनर ऐंता पनियोर के रूप मेंदेखते हैं हालांकि जब उन्होंने बिजनेस कोच के तौर पर आगे बढ़ने को सोचा था तब शुरुआती समय में उनके पास इतने पैसे नहीं हुआ करते थे

जिससे कि वो एक अच्छा सा ऑफिस खोल सके लेकिन किसी तरह से उन्होंने पैसे जूटाकर एक कमरा किराए पर लिया और सभी काम वह खुद ही अकेले करने लगे हालांकि जब उन्होंने कई सारे लोगों को नौकरियां भी दी लेकिन एक बार जब स्टाँफ को देने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे तब उन्होंने अपना घर तक बेचने का फैसला कर लिया और दोस्तों कुछ इसी तरह से आज कई सारे संघर्ष परेशानियों का सामना करते हुए डॉक्टर विवेक बिंद्रा ने वो मकाम को छुआ है की  लाखों लोग और हजारों कंपनियां उनको अपना आइडल मानती है और उनके द्वारा बनाए गए यूट्यूब चैनल के जरिए भी करोड़ों लोग अच्छी बातें सीखते हैं और दोस्तों हाल ही में डॉक्टर विवेक इंदिरा बिंद्रा को The Economics Time ने The Game Changer Of India Times of india ने Best C.E.O couch India की तरह ही और भी कई सारे अवार्ड से नवाजा है और दोस्तों जिस तरह डॉ विवेक बिंद्रा हम सब को मोटिवेट करते हैं वह सच में इन अवॉर्ड के हकदार हैं

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